नई दिल्ली. अगर आप लाखों रुपये के चालान, बकाये बिजली और पानी के बिल (Chalan, Outstanding Electricity and Water Bills) से परेशान हैं तो इसे सस्ते में निपटाने के लिए आपके पास शानदार मौका आने वाला है. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (NALSA) के निर्देश पर पूरे देश में 9 सितंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत (National Lok Adalat) का आयोजन होने जा रहा है. यह आयोजन राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर सभी जिलों के सिविल कोर्ट परिसर में होगा. दिल्ली-एनसीआर, यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और एमपी सहित सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में इसकी तैयारी अभी से ही शुरू हो गई है. आप इस दिन फौजदारी, दीवानी, राजस्व विवाद, वाहन दुर्घटना दावा, डोरी एक्ट या वैवाहिक विवाद, श्रम विवाद, बैंक वसूली के साथ-साथ वाहनों के चालान के मामलों का भी निबटारा करा सकते हैं. इसके साथ ही बिजली बिल, फोन बिल, क्लेम, बैंक से जुड़े मामले एवं अन्य सभी प्रकार के सुलह योग्य मामलों का भी निष्पादन 9 सितंबर को फ्री में ही किया जाएगा.
बता दें कि राष्ट्रीय और राज्य विधिक सेवा प्राधिकार ने सभी राज्यों के जिला प्रशासन को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन करने के लिए कहा है. 9 सितंबर को साढ़े दस बजे दिन से तीन बजे दिन यह आयोजन पूरे देश में किया जाएगा. कुछ राज्यों में टाइमिंग थोड़ा आगे पीछे हो सकती है. इसका आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से सिविल कोर्ट परिसर में किया जाएगा.इसमें भाग लेने के लिए आपको राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार की वेबसाइट पर जाकर टोकन लेना अनिवार्य है. इसके लिए आप https://nalsa.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर सभी जिलों के सिविल कोर्ट परिसर में लोक अदालत का आयोजन होगा.
9 सितंबर को लोक अदालत का आयोजन
राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी प्रकार के मामलों को सुलह और समझौते के आधार पर निपटारा किया जाता है. विधिक सेवा प्राधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक 9 सितंबर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत की रूपरेखा तैयार कर ली गई है. इसके लिए संबंधित विभागों, पक्षकारों को नोटिस करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है.
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लोक अदालत क्यों है बेहतर विकल्प
अधिवक्ता राहुल कुमार कहते हैं, ‘सुलह वाले मामलों को निपटाने के लिए लोक अदालत सबसे बढ़िया जरिया है. न्यायिक पदाधिकारी दोनों पक्षों के साथ बातचीत कर विवाद को तुरंत ही निपटा देते हैं. इसमें न वकील की जरूरत होती है और न वादी और प्रतिवादी को फीस भरनी पड़ती है. न्यायाधीश लोक अदालत में सेवा भाव से कार्य करते हैं. विवादों का समझौता कर समाप्त करने से उन्हें और दोनों पक्षों को शांति मिलती है. इससे अदालतों में मुकदमों का भार कमता है. लोक अदालत के फैसले से न तो किसी की जीत होती है और न ही किसी की हार. लोक अदालत के फैसले से समाज में भाईचारा बनता है और साथ में पैसे, श्रम और समय की भी बचत होती है.
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Tags: Bank Loan, Electricity Bills, Lok Adalat, Traffic fines
FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 19:26 IST
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