हाइलाइट्स
सैकेंड हैंड कारों पर भी आसानी से लोन हो जाता है.
हालांकि स्क्रैपीज पॉलिसी के बाद कुछ बदलाव हुए हैं.
अब सैकेंड हैंड कारों पर लोन कम टेन्योर के लिए होता है.
नई दिल्ली. कार हर परिवार की जरूरत होती है और हर कोई इसको खरीदना चाहता है. लेकिन कई बार बजट कम होने के चलते लोग कार नहीं खरीद पाते हैं. ऐसे में लोग मोटरसाइकिल या स्कूटर खरीद कर ही संतुष्ट हो जाते हैं. हालांकि आप यदि कार खरीदना चाहते हैं और आपका बजट कम है तो भी आपके पास एक बेहतरीन विकल्प मौजूद है. ये विकल्प है सैकेंड हैंड कार का. मार्केट में इन दिनों सैकेंड हैंड कारों का बाजार भी काफी गर्म है और आपको सर्टिफाइड यूज्ड कारें भी मिलेंगी. जो कंडीशन में बिल्कुल परफेक्ट होती हैं और उनके साथ गारंटी भी आती है. अब सवाल ये उठता है कि क्या आपका बजट सैकेंड हैंड कार खरीदने का भी नहीं है. ऐसे में आपके पास कार लोन का ऑप्शन है. हालांकि कुछ लोगों का मानना होता है कि सैकेकंड हैंड कार को लोन पर नहीं लेना चाहिए लेकिन ये बात कुछ हद तक गलत भी है. सैकेंड हैंड कार पर भी आसानी से फाइनेंस हो जाता है.
हालांकि सैकेंड हैंड कारों पर फाइनेंस कम टेन्योर यानि कम सालों के लिए होता है. वहीं इनका ब्याज दर भी नई कारों के मुकाबले कुछ ज्यादा होता है. आइये आपको बताते हैं कि सैकेंड हैंड कारों पर क्या होती हैं फाइनेंस की शर्तें….
बदल गई हैं शर्तें
स्क्रैपीज पॉलिसी आने के बाद सैकेंड हैंड कारों पर फाइनेंस को लेकर कुछ बदलाव हो गए हैं. अब उन्हीं डीजल कारों पर बैंक या एनबीएफसी फाइनेंस करते हैं जिनकी लाइफ 5 साल कम से कम बाकि हो. उदाहरण के लिए यदि आपको कोई कार पसंद आती है और वो 2018 की रजिस्टर्ड है तो बैंक इस पर फाइनेंस कर देंगे. लेकिन ये फाइनेंस केवल 3 सालों के लिए होगा और इसकी ब्याज दर भी 12 से 14 प्रतिशत तक होगी. वहीं पेट्रोल कारों पर भी यही नियम लागू कर दिया गया है. हालांकि ये नियम कहीं भी बताया नहीं गया है लेकिन बैंको की ओर से अब ऐसी ही गाड़ियों पर फाइनेंस किया जा रहा है.
तो फिर क्या है फायदा
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपको एक बेहतरीन और ज्यादा फीचर्स से लैस कार सस्ते दामों में मिल जाती है और फाइनेंस की रकम चुकाने के बाद भी वो नई कार से कम कीमत पर होती है. सैकेंड हैंड कार लेने का सबसे बड़ा ये फायदा होता है कि आप नई कार के बेस मॉडल से भी कम कीमत पर टॉप वेरिएंट तक ले सकते हैं. जो कि आसानी से फाइनेंस हो सकती है और आप कार के मालिक बन सकते हैं.
क्या रखें सावधानियां
सैकेंड हैंड कार खरीदने के दौरान हमेशा सर्टिफाइड कारों को ही खरीदें. ये कारें भी सर्टिफाइड डीलर्स जैसे महिंद्रा फर्स्ट चॉइस, स्पिनी, कार देखो और मारुति की सैकेंड हैंड कार डीलरशिप जैसों से ही खरीदनी चाहिए. वहीं ऐसी कारें लेने के दौरान अब ये जरूर देखें कि उनकी लाइफ कम से कम 5 साल की बाकि हो. इससे आपको कार आसानी से फाइनेंस भी हो जाएगी और लंबे समय तक आप उसे अपने पास रख सकेंगे जिससे आपके दिए हुए रुपये वसूल हो सकेंगे.
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Tags: Auto News, Car Bike News
FIRST PUBLISHED : August 04, 2023, 06:30 IST
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