इस शैतान ने ली 16 दुल्हनों की जान… जानें गोवा के इस ‘दुपट्टा किलर’ की दास्तान

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1994 का दौर था, 21 साल की दर्शना नाइक जो अपनी मां के साथ गोवा की राजधानी पणजी से करीब 40 किमी दूर दक्षिण शिरोडा में रहती थी. मां धान के खेत में काम करने जाती और वह अकेले घर में रहती थी. सब कुछ ठीक चल रहा था, फिर 30 सितंबर 1994 को दर्शना को पणजी में गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से कुछ ही दूरी पर बम्बोलिम में एक काजू के पेड़ से लटका हुआ पाया गया. लेकिन परिवार गरीब था तो हत्या था या आत्महत्या यह तब पता चलता जब जांच होती लेकिन जांच तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई. इसे हत्यारे की किस्मत कहा जा सकता था. क्योंकि इस हत्या के पहले और बाद में बहुत कुछ घटना था.

दो महीने पहले शुरू हुआ हत्याओं का खेल
दर्शना की मौत से ठीक दो महीने पहले पणजी से 28 किमी दक्षिण-पूर्व में खंडे-पार में,  30 वर्षीय गुलाबी गांवकर की हत्या हुई.  गुलाबी पोंडा बाज़ार में गुलाबी एक दर्जी के तौर पर काम करती थी.  हत्या के एक दिन बाद जब उसका क्षत-विक्षत शव मिला, तो एक गवाह ने पुलिस को बताया कि एक दाढ़ी वाला आदमी उससे नियमित रूप से मिलता था. गवाह के बयान के हिसाब से पुलिस ने शक के घेरे में आए एक शख्स को उठा लिया जिसका हुलिया बताए हुए हुलिए से मिलता था. आरोपी को एहतियातन हिरासत में रखा गया. लेकिन जब अन्य ड्राइवरों ने कहा कि वह उसके लापता होने के दिन स्टैंड पर था, तो उसे छोड़ दिया गया. लेकिन गवाह में किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि वह दोपहर की नींद लेने के बहाने गया था और लौट आया था. यह वही शख्स था जो दर्शना के घर के सामने रहता था, और गुलाबी जिस दुकान में काम करती थी वहां पर ऑटोरिक्शा चलाता था. 25 साल का दाढ़ी वाला यह शख्स था महानंद नाइक.

15 सालों तक चला हत्याओं का सिलसिला
गुलाबी की हत्या करने बाद जितनी आसानी से महानंद छूट गया, उसने उसके अंदर एक उत्साह भर दिया, फिर शुरू हुआ हत्याओं का एक घिनौना खेल, जिसने उसको अगले 15 सालों में पणजी के आसपास महिलाओं को फंसाने और मारने की रणनीति दी. वह सेक्स और पैसा चाहता था, और उससे भी बढ़कर उसकी ज़रूरत थी, हत्या कर मिलने वाला दरिंदगी का रोमांच. उसने अपने शिकार के लिए गरीब इलाकों को चुना. जहां गुलाबी जैसी महिलाएं रहती थी जिनका मुश्किल से गुजारा होता था और जिन्हें यह उम्मीद थी कि उन्हें कभी भी एक अच्छा साथी नहीं मिल सकता है. महानंद ने अपने चारों ओर, बस शेल्टरों, बाजारों और फैक्ट्रियों के इर्द गिर्द ऐसी महिलाओं को अपना लक्ष्या बनाना शुरू किया. उसने 20-35 साल की महिलाओं को अपना शिकार बनाया, खासकर ऐसी महिलाएं जो मानसिक और आर्थिक रूप से कमजोर होती थी. उसकी तीसरी शिकार थी, 19 साल की वसंती गौड जो पोंडा में एक गरीब घरेलू सेविका थी. महानंद ने उसे 50,000 रुपये देने का वादा किया. सितंबर 1995 को वसंती उसके साथ पास के शांतिनगर में एक सुनसान जगह पर गई और फिर कभी नहीं देखी गईं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि  वासंती की बहन जेनी गौड कहती हैं कि  हमने उसका शव भी नहीं देखा है.

तीसरे और चौथे शिकार में 8 साल का अंतर
महानंद ने अपने शिकार पणजी के आसपास 40 किमी के दायरे में किए,  हर बार जब वह खेत में किसी महिला की हत्या करता था, तो वह उसके आभूषण सुनार के पास ले जाता था और परिवार में गंभीर बीमारी का बहाना बनाकर उसे बेच देता था. उसके शिकार इतने गरीब थे कि उनकी मौत की परवाह ना सरकार को थी ना पुलिस को, नहीं तो वह 2009 से ही पहले ही पकड़ा जाता. 1995 में महानंद की तीसरी हत्या और 2003 में चौथी हत्या के बीच आठ साल का अंतर रहा, उसके बाद, उसने लगातार महिलाओं की हत्या की – 2005 में तीन बार, 2006 में एक बार, शायद 2007 में पांच बार और 2008 में दो बार, उसकी आखिरी हत्या अप्रैल 2009 में की.  हत्याओं का तरीका 21 अप्रैल 2009 मे जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तब उसने बताया कि वह लड़कियों को बताता था कि वह एक व्यापारी है. वह अपने नाम भी लड़कियों के नाम के हिसाब से बदल लेता था जो उनके नाम से मिलते जुलते लगे, जैसे गुलाबी के लिए गोविंद, योगिता के लिए योगेश. योगिता उसकी आखरी शिकार थी. जिसके बाद वह पकड़ा गया. वह लड़कियों को शादी के जाल में फांसता, फिर उन्हें अपने घर पर मिलने के लिए बुलाता, अगर लड़की तैयार हो जाती तो उन्हें लूट कर उनकी हत्या कर देता. लेकिन गुलाबी को सिर पत्थर से मारने के बाद उसने अपने तरीके में बदलाव किया और दर्शना के बाद वह लड़कियों का उनके ही दुपट्टे से गला घोंट देता था.

आखरी शिकार
योगिता पोंडा के नागझार कर्ती में रहने वाली एक 30 साल की महिला थी, 14 जनवरी 2009 को वह 80,000 रुपये के जेवरों के साथ लापता  हो गई और एक दिन बाद उसका शव काजू के बागान में मिला. यह मामला भी दब जाता लेकिन मार्च में योगिता के परिवार ने मामले की जांच के लिए पोंडा पुलिस स्टेशन के नए इंस्पेक्टर चेतन पाटिल से संपर्क किया.  इंस्पेक्टर चेतन ने जांच करना शुरू किया और सबसे पहले योगिता के कॉल रिकॉर्ड खंगाले, आखिरी दो कॉल गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज के एक छात्र के सिम कार्ड से किए गए थे, जिसका फोन खो गया था. अब चेतन ने खोई हुई सिम की कॉल डिटेल देखी और पाया कि वह अभी भी सक्रिय थी और इसका इस्तेमाल 23 साल की लड़की को अक्सर कॉल करने के लिए किया गया था. पुलिस ने महिला से पूछताछ की तो पता चला कि उसका भी बलात्कार हो चुका है. फोन करने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद बलात्कारी महानंद था. यह एक बहुत बड़ी सफलता थी. जिसने 15 साल पुराने गुलाबी मामले  में संदिग्ध रहे महानंद और  सभी 16 हत्याओं में उसकी लिंक को जोड़ने की कड़ी पकडा दी थी.  

महानंद – मोइन्स वो सोइतान (आदमी या शैतान)
महानंद, अब 54 साल का है, उसने पिछले 14 साल जेल में बिताए हैं. जब योगिता नाइक का मामला सामने आया तो भीड़ ने शिरोडा में उसके घर को जला दिया, और उनकी पत्नी, जो एक केंद्र सरकार की कर्मचारी थीं, को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया. 2009 से 2010 के बीच एक लोकप्रिय नाटक, महानंद – मोइन्स वो सोइतान (आदमी या शैतान) उसी पर आधारित था, जिसने गोवा से लेकर यूएई, बहरीन, कतर और यूके तक भीड़ खींची. उसके बाद के सालों में, महानंद को दो हत्याओं का दोषी पाया गया है, और अन्य मामलों में सुनवाई अभी भी जारी है. दर्शन की मां लक्ष्मी ने कहा, “महानंद को कभी भी जेल से रिहा नहीं किया जाना चाहिए.’

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