मेरठ के खंदक बाजार में एक घर में आग लगने से दो बच्चियों के जिंदा जलने के बाद परिवार में मातम छाया रहा। दोनों बच्चियों की मां और ननद-भाभी दिन भर बिलखती रहीं। परिवार के लोग उनको समझाने में लगे रहे। यह हादसा इदरीश के परिवार को बेघर कर गया। परिवार को बेटी की ससुराल में आसरा लेना पड़ा। पीड़ितों ने प्रशासन से आर्थिक मदद की मांग की है। उधर, खंदक बाजार के व्यापारी और अन्य लोग भी दिन भर घटना पर शोक जाहिर करते रहे। यहां कई दुकानों को बंद रखा गया। हादसे में व्यापारी इदरीश की 21 दिन की पोती और एक महीने की नातिन रविवार को जिंदा जल गई थी।
सोमवार को परिवार ने दोनों बच्चियों का अकीका कार्यक्रम रखा था। घर पर मेहमान आए हुए थे। भट्टी पर खाना बनाते समय सिलिंडर लीक हो गया और घर में आग लग गई थी। हादसे के बाद जिस घर में खुशी का माहौल होना चाहिए था, लेकिन वहां मातम पसर गया। आग में घर का सामान भी जलकर राख हो गया। इसके चलते इदरीश के परिवार को बेटी अफशां की ससुराल लिसाड़ी गेट के इस्लामाबाद जाना पड़ा। परिवार के रिश्तेदार और अन्य लोग आकर घटना के बारे में पूछते रहे। हालांकि स्थानीय व्यापारियों ने इदरीश के परिवार को मदद का भरोसा दिलाया है।
सीओ से मिला पीड़ित परिवार, आर्थिक मुआवजे की मांग
इदरीश, उसका बेटा जुनैद सहित खंदक बाजार के लोग सोमवार को सीओ कोतवाली के ऑफिस पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाने की मांग की। परिवार ने बताया कि हादसे में सब कुछ राख हो गया। परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया है। बेटी की ससुराल में वह कब तक रहेंगे।
फोरेंसिक टीम ने की जांच, परिवार बोला चूक हो गई
सोमवार सुबह भी फोरेंसिक टीम जांच के लिए खंदक बाजार गई। यहां इदरीश के घर पर ताला लगा मिला। परिवार के लोगों से फोन पर बात की और उन्हें बुलाया। घर का ताला खुलवाकर जांच की और घटना की जानकारी ली। परिवार के लोगों ने बताया कि रोजाना खाना किचन में सिलिंडर पर छोटे चूल्हे पर बनता था। रविवार को मेहमान आए हुए थे। इसके चलते वह बाजार से भट्टी लेकर आए। भट्टी पर खाना बन रहा था। इसी दौरान सिलिंडर लीक हो गया। बस यही चूक हुई है।
हाइड्रेंट होते तो शायद बच जाती बच्चियों की जान
खंदक बाजार में हादसे में बच्चियों की जिंदगी शायद बच जाती, अगर जमीन के नीचे दबे फायर हाईड्रेंट के बारे में दमकल टीम को जानकारी होती। नगर निगम और दमकल विभाग तीन साल से फायर हाइड्रेंट की तलाश कर रहा है, लेकिन अब तक इन्हें ढूंढा नहीं जा सका है। इनकी तलाश कागजों तक ही सिमट गई है। संकरे रास्तों में आग की घटनाओं से निपटने के लिए फायर हाइड्रेंट बनवाए गए थे। जिले में 109 फायर हाइड्रेंट हैं। इनमें 32 क्रियाशील और 77 बंद बड़े हैं। बंद पड़े फायर हाइड्रेंट में अधिकांश ऐसे हैं जो सड़क निर्माण के चलते नीचे दब चुके हैं। हर साल दीपावली से पूर्व इन फायर हाइड्रेंट की तलाश शुरू की जाती है। बाद में यह काम फाइलों में सिमट जाता है। खंदक बाजार में कुछ लोगों का कहना था कि यदि संकरे रास्ते में आग बुझाने की बेहतर व्यवस्था होती तो शायद घटना इतनी हृदयविदारक न होती।
विलाप करते परिजन
इन स्थानों पर दबे हैं फायर हाइड्रेंट
भाटवाड़ा, बीरुकुआ, खंदक बाजार, सुभाष बाजार, गुजरी बाजार चौक, आबकारी गोदाम हापुड़ अड्डा, स्वामीपाड़ा, मोहल्ला नाकराम, गौरीपाड़ा भरी सराय, बनी सराय, फूटा कुआ, खारा कुआ, मोहल्ला जाटियान, डालमपाड़ा, ठठेड़वाड़ा चर्च, पुर्वा फैय्याजयान, करम अली, राजपूतान मस्जिद के पास, सराय वैली तेली वाली मस्जिद, लाला का बाजार, देहलीगेट पुलिस चौकी के सामने, मेनका टाकीज, अप्सरा टाकीज और घंटाघर एसपी दफ्तर के पास हाइड्रेंट दबे हैं।
काफी संख्या में हाईड्रेंट बहुत नीचे पहुंच चुके हैं। फिर भी कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा क्रियाशील हो सकें। इस बारे में कई बार नगर निगम से भी पत्राचार किया गया है। – संतोष कुमार राय, सीएफओ