बदलते युग के साथ खेती भी अब आधुनिक तरीके से होने लगी है. परम्परागत खेती का मोह त्याग कर किसानों का रुझान बागवानी की तरफ होने लगा है. पोली हाउस लगवाकर किसान गेहूं और धान के बजाय अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. जिलें में पिछले तीन साल के दौरान देखा जाए तो 83 किसानों ने सरकार की योजना का लाभ उठाते हुए 77 एकड़ भूमि पर नेट और पोली हाउस लगवाएं है.
नेट और पोली हाउस लगवाने पर सरकार की ओर से 65% सब्सिडी मुहैया कराई जाती है. इसमें 50% सब्सिडी केन्द्र सरकार और 15% सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है. शुरुआत में इस पर 20 लाख रुपए तक खर्चा आता है लेकिन बाद में 65% सरकार की ओर से वापस मिल जाते हैं. किसानों का कहना है कि परम्परागत खेती की बजाय सब्जियों की खेती करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है. परम्परागत खेती में अब इतनी पैदावार नहीं मिलती है इसीलिए फसल चक्र विधि को अपनाकर ही किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर सकता हैं.
किसानों ने बताया कि एक एकड़ जमीन पर नेट हाउस के जरिए वे 10 लाख रुपए सालाना कमा लेते हैं. इतनी कमाई परम्परागत खेती धान और गेहूं में कभी नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि खेती घाटे का सौदा नहीं है, यदि बेहतर विधि और समय की मांग के अनुसार की जाएं. समय के अनुसार बदलाव ही किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बना सकता है.
जिला उद्यान अधिकारी, अंबाला, डा.वीरेंद्र पूनिया ने बताया कि किसान परम्परागत खेती का मोह त्याग कर नेट और पोली हाउस की खेती की तरफ बढ़ रहें हैं. किसान नेट हाउस के जरिए टमाटर, खीरा, ककड़ी, मिर्च आदि की खेती करते हैं. विभाग की ओर से नेट हाउस लगवाने पर किसानों को सब्सिडी दी जा रही है ताकि किसानों को किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े.