दुनिया तेजी से इलेक्ट्रिक कारों की ओर भाग रही है. ऐसे में इस रेस में भारत कैसे पीछे रह सकता है. आज अधिकतर भारतीयों के दिमाग में यह बात घर कर चुकी है कि आने वाला समय इलेक्ट्रिक कारों का ही है. भारत ने खुद यह लक्ष्य तय कर रहा है कि 2023 तक देश में बिकने वाली कुल गाड़ियों में 30 फीसदी हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक कारों की होगी. अब तो उसे इस लक्ष्य को हासिल करने में कुदरत का भी आशीर्वाद मिलने लगा है. उसे एक ऐसा खजाना हाथ लगा है जिससे देश में इलेक्ट्रिक कार क्रांति आ सकती है. इससे पेट्रोल की तुलना में इलेक्ट्रिक कारें सस्ती हो सकती हैं. इस खजाने की वजह से भारत की चीन जैसे देशों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी. हम जिस खजाने की बात कर रहे हैं उसका तात्पर्य लिथियम नामक धातु से है. यह धातु आज की तारीख में दुनिया के लिए खजाना ही है. इसी धातु पर पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक कार क्रांति टिकी हुई है. दुर्भाग्यवश अभी तक भारत के पास यह धातु बहुत ही सीमित मात्रा में थी. लेकिन, अब कुदरत ने अपना आशीर्वाद बरसाया है. देश में लिथियम का अकूत भंडार मिल चुका है. इस भंडार से खनन की भी तैयारी शुरू हो चुकी है.
दरअसल, इस साल के शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला था. इससे पूरा देश उत्साहित हो गया था. एक अनुमान के मुताबिक इस लीथियम से देश में 92 करोड़ कारों के लिए बैटरियां बनाई जा सकती हैं. अब इस उम्मीद को मूर्त रूप देने का समय आ गया है. समाचार एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार अगले कुछ सप्ताहों के बीच इन भंडार से खनन का ठेका जारी करने वाली है. इसमें कई विदेशी कंपनियां भी भागीदार हो सकती हैं. इस लिथियम के खनन के लिए विदेशी कंपनियों ने अपनी रूची दिखाई है. जियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया की खुदाई के दौरान जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में यह भंडार मिला था.
इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड विदेश में कई जगह लिथियम के खान खरीदने में जुटी है. वह अर्जेंटीना में कई खदान अपने नाम करने के बेहद करीब है. साथ ही चीली में कई खदान खरीदने की कोशिश की जा रही है. कुल मिलाकर भविष्य में भारत अपनी जरूरत के लिए व्यापक पैमाने पर लिथियम का भंडार सुरक्षित करना चाहता है. ताकि भविष्य की चुनौती के लिए भारत को तैयार किया जा सके.
खजाने से कम नहीं लिथियम
मौजूदा वक्त में किसी भी देश के लिए लिथियम खाजने से कम नहीं है. लिथियम में ‘पावर टू वेट’ रेशियो बहुत ज्यादा होता है. इससे इलेक्ट्रिक कारों के लिए पावरफुल बैटरी बनाने में आसानी होती है. इसके अलावा लैपटॉप से लेकर मोबाइल तक हर डिजिटल डिवाइस में इसी लिथियम से बनी बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. ये बैटरियां अलग-अलग तापमान में भी ऊर्जा का उचित संचय करने में कामयाब साबित हुई हैं.
औकात में आएगा चीन
मौजूदा वक्त में चीन दुनिया में लिथियम का भंडार रखने वाला सबसे प्रमुख देश है. इसका अपने यहां के अलावा विदेश में कई लिथियम खदानों पर कब्जा है. इस कारण यह दुनिया में लिथियम से बनी बैटरियों पर नियंत्रण करने की स्थिति में है. यह दुनिया में लिथियम ऑयन बैटरियों के केंद्र के रूप में उभरा है. इस वक्त दुनिया की प्रमुख बैटरी निर्माता कंपनियां चीन की हैं. यही वजह है कि चीन में इस वक्त इलेक्ट्रिक कार क्रांति आ चुकी है. वहां दुनिया की तुलना में काफी सस्ती इलेक्ट्रिक कारें बिक रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल यानी 2022 में चीन में कुल 1.41 करोड़ इलेक्ट्रिक कारें बिकीं. वहां के कुल कार बाजार में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 30 फीसदी से अधिक हो चुकी है.
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारत के हाथ लगे खजाने से वह चीन के एकाधिकार को चुनौती दे सकेगा. घरेलू स्तर पर लिथियम की उपलब्धता से भारत में बैटरी निर्माण को गति मिलेगी और फिर इलेक्ट्रिक कार बाजार में क्रांति आएगी. इससे इलेक्ट्रिक कारों के दाम भी घटेंगे. क्योंकि अभी भी इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण का करीब 40 फीसदी खर्च केवल उसकी बैटरी पर आता है. आने वाले समय में अगर सब कुछ ठीक रहता है तो भारत भी इलेक्ट्रिक कार क्रांति में दुनिया के साथ कदम मिलाकर चल सकेगा.
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Tags: Electric Car
FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 17:58 IST
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