हाइलाइट्स
एक्सपर्ट भी नहीं बताएंगे कि टायरों की ‘कैंची’ बनाने से उनकी उम्र बढ़ जाती है.
टायर रोटेशन का मतलब है कि एक साइड के टायर को निकालकर दूसरी साइड में लगाना.
इससे टायरों से आवाज आने का जोखिम भी नहीं रहेगा और सभी टायर बराबर घिसेंगे.
नई दिल्ली. कार या किसी भी वाहन के लिए जितना जरूरी इंजन ऑयल, कूलिंग ऑयल और ब्रेक ऑयल को बदलना होता है. उतना ही जरूरी उसके टायरों का रखरखाव और उसमें समय रहते बदलाव करना होता है. यह तो सभी जानते हैं कि एक समय के बाद गाड़ी के टायरों को बदलना जरूरी है. लेकिन, टायर बदलने के अलावा भी एक जुगाड़ होता है गाड़ी को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का. इसमें टायर बदलने का खर्चा भी बचेगा और आपकी गाड़ी लंबे समय तक सुरक्षित भी रहेगी.
आपको यह जुगाड़ बड़े से बड़े एक्सपर्ट भी नहीं बताएंगे कि टायरों की ‘कैंची’ बनाने से उनकी उम्र बढ़ जाती है और लंबे समय तक चलते हैं. टायरों की कैंची (Tires Rotation) एक ऐसा जुगाड़ है, जो आपकी गाड़ी के टायरों को लंबे समय तक चलाता है. टायर रोटेशन करना समझदार कार ऑनर की निशानी है. इस जुगाड़ा से गाड़ी के सभी टायरों का बखूबी इस्तेमाल किया जा सकेगा और वे लंबे समय तक चल सकेंगे.
क्या है टायर रोटेशन
टायर रोटेशन का मतलब है कि एक साइड के टायर को निकालकर दूसरी साइड में लगाना और दूसरी साइड के टायरों को अलग साइड में लगाना. मसलन, आगे के टायर को पीछे फिट कर देना, जबकि पीछे के टायरों को आगे लगा देना. रोटेशन यानी अदला-बदली करते समय ध्यान रखें कि आगे वाले दाहिनी तरफ के टायरों को पीछे बायीं तरफ लगवाना चाहिए और आगे बायीं तरफ के टायर को पीछे दाहिनी तरफ लगवाना चाहिए. यही काम पीछे वाले टायरों को आगे करते समय भी करना चाहिए. इसी जुगाड़ को बोलते हैं टायरों की कैंची बनाना.
कार के टायरों को रोटेट करने पर वे सभी तरफ से बराबर घिसते हैं.
क्या होता है इससे फायदा
दरअसल, रोड पर टायर अलग-अलग एंगल पर चलते हैं. इससे टायर भी एक तरफ से ज्यादा खराब होते हैं. इसका मतलब है कि टायर किसी एक तरफ से ज्यादा घिस जाते हैं और उनके जल्दी खराब होने का जोखिम रहता है. अगर इन टायरों को रोटेशन में इस्तेमाल किया जाए तो ये चारों तरफ से बराबर इस्तेमाल किए जा सकेंगे और किसी एक तरफ से जल्दी घिसेंगे नहीं. इससे टायरों से आवाज आने का जोखिम भी नहीं रहेगा.
कब करना चाहिए टायर रोटेशन
किसी कार के टायर को अमूमन हर 6 महीने में रोटेट कर देना चाहिए. ऐसा करने से टायरों के दोनों तरफ का पूरा इस्तेमाल किया जा सकेगा. किसी कार मालिक को 8 हजार से 13 हजार किलोमीटर चलाने के बाद अपने टायरों को रोटेट कर देना चाहिए. इसे लेकर कंपनी की ओर से भी कार मैनुअल में जानकारी दी जाती है. बेहतर होगा कि कार के इंजन ऑयल को चेंज करने के दौरान ही उसके टायरों को भी रोटेट कर देना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : August 01, 2023, 19:34 IST
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