देश में एक वक्त सबसे मजबूत रही एंट्री लेवल कार मार्केट में ऑल्टो महारानी कहलाती थी. इसी को ध्यान में रखते हुए मारुति के बाद भारतीय कार बाजार में उतरी अन्य कंपनियों ने भी सबसे पहले इसी सेग्मेंट में दाव खेला. कुछ को तो शुरुआती सफलता जरूर मिली, लेकिन अधिकतर ब्रांड ऑल्टो के भरोसे के आगे ग्राहकों के दिलों में नहीं उतर पाई और उनकी समय से काफी पहले मौत हो गई. आज हम जिस एंट्री लेवल कार की बात करने जा रहे है उसने एक समय ऑल्टो की मम्मी बनने की कोशिश की थी. देश में कारोबार शुरू करने के साथ ही कंपनी ने सबसे पहले यही कार लॉन्च की थी.
दरअसल, उस कंपनी का नाम है हुंडई. दक्षिण कोरिया की यह एक फेमस कार कंपनी है. इसने करीब ढाई दशक पहले यानी 1998 में भारत में अपना कारोबार शुरू किया और सबसे पहले एंट्री लेवल कार मार्केट में दस्तक दी. इसने अपनी सबसे लोकप्रिय कार सैंट्रो के जरिए एंट्री मारी. इसमें यह कंपनी सफल भी हुई. करीब दो दशक तक बाजार में रही इस कार ने ग्राहकों के दिलों पर राज किया. फिर बाजार के बदलते समीकरण के बीच यह फिट नहीं बैठी और कंपनी ने इसे 2014 में बंद कर दिया. लेकिन, इसकी टीस बनी रही. फिर कंपनी ने पूरी तरह नए अवतार में 2018 में इस कार को बाजार में उतारा. लेकिन, यह ग्राहकों के भरोसे पर खरा उतरने में बुरी तरह फ्लॉप हुई.
बाजार को समझने में नाकाम रही हुंडई
हुंडई ने 2018 में जब नए अवतार में सैंट्रो को लॉन्च किया तब वह बाजार को समझने में पूरी तरह विफल रही. उसने अपने बेस मॉडल की एक्सशो रूम कीमत 3.9 लाख और टॉप मॉडल की एक्स शो रूम कीमत 5.5 लाख रुपये रखी. यहां पर कंपनी की कोशिश ऑल्टो वाले खरीददारों को एक बेहतर विकल्प देना था, लेकिन वह ग्राहकों का भरोसा जीतने में बुरी तरह विफल रही. इस विफलता के पीछे कई वजहें थीं. कंपनी के पोर्टफोलियों में ही इस प्राइस बैंड से थोड़े ज्यादा में ग्रैंड आई10 जैसी कारें थीं. ग्रैंड आई10 एक सफल कार रही है. हर मामले में वह सैंट्रो से काफी बेहतर गाड़ी है. यह प्रीमियम हैचबैक के काफी करीब रहने वाली कार है. ऐसे में ग्राहक यह समझ नहीं पाते थे कि आखिर वह सैंट्रो क्यों खरीदे.
मार्केट में एक से बढ़कर एक विकल्प
आप सैंट्रो ब्राड की लोकप्रियता को इसी से समझ सकते हैं कि एक समय हुंडई की कुल बिक्री में अकेले इस कार ब्रांड की हिस्सेदार 76 फीसदी हुआ करती थी. लेकिन, जब यह कार नए अवतार में आई तब तक काफी कुछ बदल चुका था. खुद हुंडई ने अपने पोर्टफोलियो में एंट्री लेवल हैचबैक में आई10, ग्रैंड आई 10 और आई 20 जैसी गाड़ियां ला चुकी थी. वहीं दूसरी तरह मारुति और टाटा ज्यादा आक्रामक रुख अपना चुकी थी. टाटा की टियागो इससे कम कीमत में बेहतर विकल्प बन चुकी थी. इससे साथ की मारुति भी कई अन्य विकल्प दे चुकी थी. फिर रेनो की क्विड और अन्य गाड़ियां आ चुकी थीं जो प्राइस और लुक सभी मामलों में सैंटो को कड़ी टक्कर दे रही थी. इस कारण गाड़ी को कुछ खास प्यार नहीं मिला.
हर माह 1500-2000 यूनिट्स की बिक्री
बीते वर्ष 2022 में जब कंपनी ने सैंट्रो का उत्पादन बंद किया तो उस वक्त इसकी हर माह करीब 1500 से 2000 यूनिट्स की बिक्री थी. डिमांड कम होने के साथ-साथ बाजार के बदलते गणित ने कंपनी को इसे बंद करने पर मजबूर किया. वरना ऑटो इंडस्ट्री में बहुत कम ऐसा होता है जब किसी ब्रांड को लॉन्च किए जाने के चार साल के भीतर बंद कर दिया जाए. एंट्री लेवल हैचबैक की जगह बाजार में कॉम्पेक्ट एसयूवी की एंट्री, कार सेफ्टी के नए नियम और उत्पादन लागत में वृद्धि की वजह से कंपनी को इसका उत्पादन जारी रखने में परेशानी हो रही थी.
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Tags: Hyundai santro, Maruti Alto 800
FIRST PUBLISHED : June 22, 2023, 13:17 IST
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