अब हाईवे पर लंबी लाइनों में खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ेगी और ना ही आपको चिंता करने की जरूरत है कि 5 किमी के सफर के लिए आपको पूरा टोल देना होगा. जानकारी के लिए बता दे कि अब राजस्थान से निकलने वाले हाईवे जल्द ही हाईटेक होने जा रहे हैं. इन पर जल्द ही एएनपीआर (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) सिस्टम लागू होने जा रहा है. आइये इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानते है.
दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय एक नया कॉन्सेप्ट लेकर आ रहा है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) राजस्थान में एक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे बना रहा है जहां कोई टोल बूथ नहीं होगा. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वाहन के मालिक को उतनी ही कीमत चुकानी पड़ेगी जितनी उसने हाईवे पर चलाई है. इसकी शुरुआत राजस्थान से गुजरने वाले ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे से होगी.
राजस्थान में बनेगा सबसे बड़ा डेडिकेटड एक्सप्रेसवे
पंजाब के अमृतसर से गुजरात के जामनगर तक यह ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे राजस्थान से भी जुड़ जाएगा. यह पंजाब, हरियाणा और अरब सागर के बंदरगाहों से भी जुड़ा होगा. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे इस ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई राजस्थान में 637 किमी है, जबकि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 1,224 किमी है.
इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह राजस्थान का सबसे बड़ा समर्पित एक्सप्रेस-वे बन जाएगा. खास बात यह है कि इस एक्सप्रेस-वे पर बहुत कम कर्व और मोड हैं. वर्तमान में राजस्थान में 6 लेन की परियोजना का 64% (407KM) कार्य पूरा हो चुका है. पूरी परियोजना पर लगभग 14,707 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है और इस परियोजना को सितंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
रूपये कैसे कटेंगे
अभी टोल पर फास्टैग से रुपए काटे जाते हैं. पहले स्कैन किया जाता है. मगर अब नए नियम के सिस्टम के मुताबिक नंबर प्लेट स्कैन होगी और रुपए फास्टैग से ही कटेंगे यानी कि आपका फास्टैग एक तरह से वालेट का काम करेगा.
एएनपीआर क्या है और इसकी उपयोगिता
एएनपीआर, स्वचालित नंबर प्लेट पहचान, जिसे आटोमेटिड लाइसेंस प्लेट पहचान (एएलपीआर) के रूप में भी जाना जाता है. इसका उपयोग वाहनों की लाइसेंस प्लेटों को पढ़ने के लिए छवियों पर परिष्कृत ऑप्टिकल कैरेक्टर पहचान करके नंबर प्लेटों को आटोमेटिड रूप से पहचानने के लिए किया जाता है. वास्तविक समय की निगरानी को सक्षम करने के लिए नंबर प्लेटों का 20 से 50 मिलीसेकंड में तेजी से विश्लेषण किया जाता है.
भारत में एएनपीआर की आवश्यकता
अन्य देशों के विपरीत, भारत, जिसकी आबादी एक अरब के पास एएनपीआर के लिए विशिष्ट आवश्यकताओं का एक सेट है. एएनपीआर का मुख्य उपयोग राजमार्ग निगरानी, पार्किंग प्रबंधन और पड़ोस कानून प्रवर्तन सुरक्षा में है. भारत में हर चार मिनट में एक मौत होती है, जिनमें से ज्यादातर ओवर स्पीडिंग के कारण होती है. ANPR का उपयोग वाहनों की औसत गति की निगरानी के लिए किया जाता है और यह सिस्टम गति सीमा से अधिक वाहनों की पहचान कर सकता है. इस मामले में दो कैमरों के बीच की दूरी की गणना करके स्वचालित रूप से एक बढ़िया टिकट उत्पन्न किया जा सकता है. इससे कानून-व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे सड़क हादसों में कमी आ सकती है.