सिद्धू मूसेवाला का SYL पर विवादित गाना रिलीज, लेकिन हरियाणा को क्यों नहीं आया पसंद, जानिए क्या है वजह

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पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के चाहने वाले देश ही नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने में है। यही कारण है कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद भी उनके फैंस उनके गानों को सुनकर मूसेवाला को याद कर रहे हैं। वहीं मूसेवाला की मौत के बाद से सोशल मीडिया पर उनके फैन बढ़ते जा रहे हैं।

वीरवार को मूसेवाला का नया गाना SYL रिलीज हुआ। गाना शाम 6 बजे यू-ट्यूब पर रिलीज किया गया। मूसेवाला के गाने पर उनके फैंस ने दिल खोलकर प्यार लुटाया। 15 घंटे में एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस गीत को यू-ट्यूब पर देख चुके थे और 22 लाख से ज्यादा लाइक्स आ चुके थे। खास बात यह है कि इस गाने पर एक भी डीसलाइक नहीं है। वहीं 1,026,564 लोगों ने गाने पर अपनी प्रतिक्रिया (कमेंट्स) भी दी है। वहीं, 19 घंटे में एसवाइएल गाने को 1.6 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं। सिद्धू मूसेवाला का यह गाना यू-ट्यूब पर धूम मचा रहा है।

Sidhu Moosewala 'SYL' to release today; What is SYL & who is Balwinder  Singh Jattana mentioned

पंजाब में ये गाना भले ही बेहद पसंद किया जा रहा है मगर गाने के बोल हरियाणा वासियों को पसंद नहीं आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर युवा वर्ग इस गाने को लेकर अपनी रोष भरी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सिद्धू मूसेवाला के गाने की शुरुआत ही हरियाणा में आम आदमी पार्टी के नेता एवं राज्य सभा सदस्यक सुशील गुप्ताप की बाइट से हुई है। जिसमें सुशील गुप्तार कह रहे हैं कि पंजाब में हमारी सरकार आ गई है, 2024 में हरियाणा में भी आएगी और 2025 में हरियाणा के खेते के हर डोले पर पानी पहुंचेगा। इसी बात को उठाते हुए सिद्धू मूसेवाला ने तंज करते हुए कहा कि हरियाणा एसवाईएल का पानी मांग रहा है मगर हम एक बूंद भी नहीं देने वाले हैं।

सिद्धू मूसेवाला के गाने में ग्राफिक्सी का इस्तेंमाल करते हुए एसवाईएल के पानी के स्ट्रेक्चहर को दिखाया गया है। सिद्धू मूसेवाला ने पानी नहीं बल्कि चंडीगढ़ और हरियाणा को पंजाब में दिए जाने को लेकर भी तंज कसा है। गाने के विवादित बोल पंजाब में पसंद किए जा रहे हैं मगर हरियाणा में इन्हें़ लेकर चर्चा चली हुई है। क्योंेकि एसवाईएल का मुद्दा हरियाणा में सुर्खियों में रहता है और इसके पानी की मांग लगातार की जाती रही है। वहीं चंडीगढ़ भी हरियाणा पंजाब की साझी राजधानी है। इस पर भी विवाद बना हुआ है। ऐसे में इस तरह की बातों को गाने में दोहराने को लेकर हरियाणा के युवाओं में रोष नजर आ रहा है।

गाने में सिद्धू मूसेवाला ने किसान आंदोलन में लाल किले पर निशान साहिब के झंडे को फहराने काे भी सही बताया है और पंजाबी गायक बब्बूा मान पर भी दोगला होने का तंज कसा है। क्योंोकि 26 जनवरी के दिन यह घटना होने पर बब्बूा मान ने कहा था कि इतना दुख तो मुझे मां-बाप के मरने पर नहीं हुआ था जितना आज हुआ है। सिद्धू के गाने में इस बाइट को दिखाया भी गया है। सिद्धू मूसेवाला ने गाने में बलविंदर जटाणा की भी तारीफ की है जिसने एसवाईएल प्रोजेक्टै पर काम कर रहे दो अफसरों की गोली मारकर हत्याि कर दी थी।

 

वहीं एसवाईएल गाने में पहले जम्मू‍ और अब मेघायल के राज्य पाल सत्यिपाल मलिक के उस बयान को भी लिया गया है, जिसमें उन्हों ने पीएम मोदी को कृषि कानून वापस लेने को लेकर हिदायत दी थी। सत्ययपाल मलिक ने कहा था कि ये कौम तो 600 साल भी बात भूलती नहीं है। इंदिरा गांधी भी कहती थीं कि ये मुझे मार देंगे और इन्होंयने उनको मार दिया। वहीं इन्हों ने जरनल डायर को लंदन में जाकर मारा। इसलिए पीएम मोदी से मैं कह रहा हूं कि इनके सब्र का इम्तिहान मत लो।

1955 में पंजाब और हरियाणा एक ही थे। और रावी और ब्या स नदी का पानी पंजाब, राजस्था न और जम्मूस कश्मीेर में बांटा गया था। रावी ब्यादस नदी में कुल 15.85 एमएएफ यानि मिलिएन एकड़ फीट पानी स्तदर नोट किया गया था। इसमें से राजस्थाथन को 8, पंजाब को 7.20 और जम्मूव कश्मीनर को 0.65 पानी दिया गया था।

मगर 1966 में हरियाणा अलग राज्य  बन गया और पानी की मांग की थी। 1976 में केंद्र सरकार ने पंजाब को मिले पानी 7.20 में से 3.5 एमएएफ पानी देने की बात कही। 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला में सतलुज को यमुना में लिंक करके हरियाणा को पानी देने का प्रोजेक्टी बनाया।

इसमें समझौत हुआ कि कुल 214 किलोमीटर लंबी नहर में 122 किलोमीटर एरिया पंजाब में होगा और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जाएगी। उस दौरान पंजाब, हरियाणा और पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी। पंजाब के सीएम दरबारा सिंह थे। हरियाणा के सीएम चौधरी भजनलाल थे। राजस्था न के सीएम शिवचरण माथुर थे। इस दौरान एसवाईएल में पानी 2 एमएएफ और बढ़ गया था, इसमें फिर से नए सिरे से पानी के बंटवारा करने का प्ला न बनाया गया। इसमें दिल्ली को भी शामिल किया गया। केंद्र में भी कांग्रेस की ही सरकार थी।

मगर पंजाब में विपक्ष में बैठे अकाली दल ने इस योजना का विरोध किया। 1985 में लोंगेवाला समझौता हुआ। इसमें एक ट्रिब्यूवनल बनाया गया। मगर बात नहीं बनी। इसमें राजनीतिकरण हुआ और एसवाईएल नहर पर काम करने वाले चीफ इंजीनियर की भी हत्याझ तक हो गई थी। 1990 में हरियाणा ने केंद्र सरकार से फिर गुहार लगाई। 1996 में हरियाणा सुप्रीम कोर्ट में गया। 2004 में कोर्ट का सेंट्रल एजेंसी बनाई जाए।

2016 में फिर एक स्टेरटमेंट आई जिसमें कहा गया कि सेंट्रल एजेंसी बनाने की बात केवल एक राय थी। ऐसे में यह विवाद नहीं सुलझा। नहर बनाने की जगह पर लोगों ने आवास बना लिए। 2017 में कोर्ट ने हरियाणा पंजाब को शांति से मामला निपटाने की हिदायत दी। अभी भी एसवाईएल पर सुनवाई चल ही रही है। मगर विवाद नहीं सुलझा है। हरियाणा में भी जब भी चुनाव होते हैं तो नेता एसवाईएल नहर का पानी लाने की बात करते हैं मगर कुछ नहीं होता है।