हरियाणा: सौ करोड़ से अधिक का हुआ हेलमेट घोटाला- अफसरशाही की सुस्ती कैसे बनी जिम्मेदार, जाने पूरा मामला

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अंबाला। देश में दोपहिया वाहनों के साथ फ्री हेलमेट देने का नियम देरी से लागू होने पर सौ करोड़ से अधिक का घोटाला हो गया। हरियाणा की बात करें, तो सालाना यहां पर तीन लाख 62 हजार से अधिक दोपहिया वाहनों की बिक्री हो जाती है। राज्य के परिवहन विभाग ने नौ नवंबर को ही मुफ्त हेलमेट देने का आदेश जारी कर दिया था, लेकिन अफसरशाही की सुस्ती के चलते इसे लागू होने में देरी हो गई। हालांकि अब राज्य सरकार की सख्ती के बाद प्रदेश में दोपहिया वाहन के साथ निशुल्क हेलमेट देना शुरू कर दिया गया है और साथ ही एजेंसी में जागरूकता के लिए बैनर लगाने भी शुरू कर दिए गए हैं।

इन नियमों को लागू करने के पीछे सवाल निशुल्क हेलमेट देने का नहीं बल्कि इनकी क्वालिटी मानकों के अनुरूप हो, यह है। इसलिए नियम के अनुसार 138 (4) (एफ) में दोपहिया वाहन चालक को निशुल्क हेलमेट दिए जाने का आदेश जारी हुआ। नियमों के मुताबिक मोटरसाइकिल, एक्टिवा सहित अन्य दोपहिया वाहनों की बिक्री के समय ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड एक्ट 1986 (63) के तहत दिए गए मानकों पर हेलमेट दिया जाए और दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी इसकी सप्लाई डीलर को करे। हेलमेट देने में किस स्तर पर ढिलाई हुई है

यह जांच का विषय है। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने 5 अगस्त 2021 को और ओडिशा में 7 अगस्त 2021 को और चेन्नई में 29 मार्च 2019 को इस संबंध में अलग-अलग आदेश जारी हुए हैं। हरियाणा में भी इन आदेशों को 9 नवंबर 2021 को लागू किया गया। हरियाणा में सबसे अधिक दोपहिया वाहन गुरुग्राम में बिकते हैं, दूसरे नंबर फरीदाबाद और फिर सोनीपत है।

इस तरह से उठाया था मामला

राज्य सरकार के आदेश के बावजूद कई जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) बेखबर थे। इस मामले में निशुल्क दिए जाने वाला हेलमेट ही डकार गए एजेंसी संचालक, रद होगा लाइसेंस शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इसी खबर पर संज्ञान लेते हुए परिवहन विभाग ने सभी डीटीओ को रिमाइंडर भेजकर रिपोर्ट तलब की। इसके बाद डीटीओ हरकत में आए और एसडीएम से भी पत्राचार कर एजेंसी संचालकों की बैठक बुलाई। अब वाहन के साथ हेलमेट निशुल्क देना शुरू कर दिया गया है।

एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक बिके दो पहिया वाहन

  • जिला कुल टू-व्हीलर
  • अंबाला 16,859
  • भिवानी 13,566
  • चरखी दादरी 6,741
  • फरीदाबाद 33,656
  • फतेहाबाद 9,317
  • गुरुग्राम 43,346
  • हिसार 19,932
  • झज्जर 14,610
  • जींद 12,412
  • कैथल 11,122
  • करनाल 18,964
  • कुरुक्षेत्र 12,714
  • महेंद्रगढ़ 11,927
  • नूंह 14,951
  • पलवल 14,659
  • पंचकूला 6,848
  • पानीपत 19,535
  • रेवाड़ी 15,325
  • रोहतक 15,526
  • सिरसा 14,232
  • सोनीपत 20,091
  • यमुनानगर 15,772
  • चंडीगढ़ 0248
  • कुल 3,62,353
  • पुरातत्व विभाग की टीम जांच के लिए पहुंची संधाय, ग्रामीण ने खोदाई में मिला सामान सौंपा

    संवाद सहयोगी, बिलासपुर (यमुनानगर) : गांव संधाय में सरस्वती नदी के किनारे सिक्के से भरी दो छोटी हांडियां निकलने की सूचना पर हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन ङ्क्षसह किरमच, पुरातत्व विभाग की उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य टीम के साथ मौके पर पहुंची। खोदाई के दौरान 80 सिक्के और प्राचीन सभ्यता के मिट्टी के बर्तन मिले हैं। इन्हें तीन हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जा रहा है। दस दिनों के भीतर दो स्थानों से प्राचीन सिक्के और बर्तन मिल चुके हैं। सूचना पर धूमन सिंह किरमिच पुरातत्व विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जांच के दौरान टीम को प्राचीन मूर्तियां व सिक्के मिले।

    नदी के लिए निशुल्क जमीन देंगे

    बलविंद्र कुमार ने बताया कि गांव संधाय के समीप से प्राचीन सरस्वती की धारा प्रवाहित होती थी। सरकार द्वारा सरस्वती को धरा पर लाने का प्रयास सराहनीय है। सरस्वती के लिए नक्शे के अनुसार अगर उनकी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो वह निशुल्क सरस्वती की धारा के लिए भूमि देने के लिए तैयार हंै। इसके लिए वह सरकार से किसी प्रकार का कोई आर्थिक शु्ल्क नहीं लेंगे।

    गुर्जर प्रतिहार से भी हो सकता हैं संबंध

    बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह ने कहा कि संधाय में सिक्कों व प्राचीन सामान मिला है। यहां पर पुरातत्व विभाग आगे भी जांच करेगा। सरस्वती नदी हरियाणा की प्राचीन नदी है। इसके किनारों पर पहले आबादी थी। इस नदी से लोगों को पीने का पानी मिलता था। ग्रंथों में सरस्वती नदीं को सभ्यता, शिक्षा व संस्कारों की जननी कहा जाता है। पुरातत्व विभाग की उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य की टीम ने बताया कि प्राचीन सामानों की सफाई करके जांच करने के बाद ही पता चलेगा कि वह किस काल के हैं। सिक्कों को देखने से पता चलता है कि सिक्के तीन हजार वर्ष से भी पुराने हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि गांव से मिले प्राचीन सामानों का संबंध गुर्जर प्रतिहार से भी हो सकता है। फिर भी विभाग इसकी जांच करेगा।

    यहां का दौरा किया

    बोर्ड के उपाध्यक्ष ने तालाब का भी दौरा किया। अधिकारियों से तालाब की साफ सफाई कराने के निर्देश दिए। इस दौरान सिंचाााई ईविभाग के एक्सईएन नितिन बट्ट, एसडीओ रङ्क्षवद्र, एसडीओ दीपक, जेई रविंदर प्रताप समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

    क्षेत्र का विकास होगा : धुम्मन सिंह

    सरस्वती हेरिटेज बोर्ड का गठन सरस्वती की धारा को दोबारा धरती पर लाने के लिए किया गया है। इसको लेकर बोर्ड कार्य कर रहा है। सरस्वती नदी के किनारे आदिबद्री से लेकर राजस्थान की सीमा तक दर्जनों प्राचीन साइट हैं, जिनमें भगवानपुरा, पिहोवा, कपिल मुनी मंदिर कैथल, राखीगढ़ी, बनावाली प्राचीन साइट शामिल है। सरस्वती की धारा के लिए कुछ गांवों में भूमि नहीं मिल रही थी, लेकिन वह साइट क्लीयर हो चुकी है। नदी प्रवाहित होने पर यहां का विकास होगा।