67 साल पुरानी 28 रुपए की उधार चुकाने के लिए एक रिटायर्ड नौसेना अधिकार अमेरिका से भारत आया और हरियाणा के हिसार शहर में पहुंचा। यहां हलवाई शंभू दयाल बंसल की दुकान से 1954 में उसने 28 रुपए के लस्सी पेड़े उधार लिए थे। यह उधारी उन्होंने शंभू दयाल के पोते विनय बंसल को 10 हजार रुपए थमाकर चुकाई।
नौसेना से रिटायर्ड कमोडोर बीएस उप्पल ने बताया कि मोती बाजार स्थित दिल्ली वाला हलवाई के मालिक विनय बंसल को बताया कि तुम्हारे दादा शम्भू दयाल बंसल को मैंने 1954 में 28 रुपए देने थे, लेकिन मुझे अचानक शहर से बाहर जाना पड़ गया। उसके बाद मैं नौसेना में भर्ती हो गया। फिर हिसार आना नहीं हो पाया।
सेवानिवृत्ति के बाद बेटे के साथ अमेरिका में रहने लगा, लेकिन वहां मुझे हिसार की दो बातें हमेशा याद रहती थीं। एक तो आपके दादा जी के 28 रुपए देने थे। दूसरा, मैं हरजीराम हिन्दू हाई स्कूल में 10वीं पास करने के बाद नहीं जा सका था तो वहां जाने की मेरी इच्छा थी। आपकी दुकान पर मैं दही की लस्सी में पेड़े डालकर पीता था।
इसके 28 रुपए बकाया रह गए थे। आप की राशि का उधार चुकाने और अपनी शिक्षण संस्था को देखने के लिए विशेष रूप से हिसार में आया हूं। यह कहते हुए बीएस उप्पल ने विनय बंसल के हाथ में 10 हजार की राशि रखी तो उन्होंने लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि मेरे सिर पर आपकी दुकान का ऋण बकाया है।
इस ऋण के लिए कृपया यह राशि स्वीकार कर लो। मैं अमेरिका से विशेष रूप से इस कार्य के लिए आया हूं। मेरी उम्र 85 साल हो चुकी है। उस समय की यह राशि आज इतनी तो हो गई होगी, इस कारण मैं यह राशि देना चाहता हूं। तब विनय बंसल ने राशि को स्वीकार किया।