रोहतक5 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
पूर्व मेजर चंद्रसिंह मलिक।
सेकेंड वर्ल्ड वार समेत आजाद भारत के सभी युद्ध लड़ने वाले पूर्व मेजर चंद्रसिंह मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने 98 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। पूर्व मेजर चंद्रसिंह रोहतक जिले के खरावड़ गांव के रहने वाले थे।
उनका संस्कार मंगलवार को खरावड़ गांव में ही किया गया। पूर्व फौजी बेटे सत्यवीर मलिक ने चंद्रसिंह मलिक को मुखाग्नि दी। उनके संस्कार में खरावड़ ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों से भी गणमान्य लोग पहुंचे।
चंद्रसिंह मलिक कुछ दिनों से बीमार थे और उनका इलाज चल रहा था। उन्हें गले और पेशाब में दिक्कत थी। चंद्रसिंह मलिक की पत्नी का निधन वर्ष 2009 में हो गया था। इन दिनों वह अपने दत्तक बेटे के साथ रहते थे जिसे उन्होंने अपने छोटे भाई से गोद लिया था।

पूर्व मेजर चंद्रसिंह मलिक को हरियाणा एक्स सर्विसमैन लीग की ओर से सम्मानित किया गया था।
फर्स्ट वर्ल्ड वार के दौरान जॉइन की रॉयल नेवी
खरावड़ गांव में 1 दिसंबर 1925 को चौधरी न्यादर सिंह मलिक के घर जन्मे चंद्रसिंह मलिक बचपन से ही विशिष्ट प्रतिभा की धनी थे। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने 1942 में एक जवान के रूप में अंग्रेजों की रॉयल नेवी जॉइन की। रॉयल नेवी जॉइन के बाद उन्होंने उस समय चल रही फर्स्ट वर्ल्ड वार में भी भाग लिया। फर्स्ट वर्ल्ड वार 1939 से 1945 तक चली।

पूर्व मेजर चंद्रसिंह मलिक
पाकिस्तान-चीन के साथ हुए युद्धों में शामिल रहे
1947 में देश के आजाद होने के बाद चंद्रसिंह मलिक बतौर सिग्नल मैन भारतीय सेना में शामिल हो गए और अपनी प्रतिभा के दम पर प्रमोशन पाते हुए मेजर के पद तक पहुंचे। उन्होंने भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के बीच हुए सभी युद्धों में भाग लिया। इसके अलावा वह 1961 में गोवा मुक्ति ऑपरेशन में भी शामिल थे। 38 साल तक भारतीय सेना की सेवा करने के बाद वह 1980 में रिटायर हो गए।
10 साल खानपुर गुरुकुल में रहे
आर्मी से रिटायर होने के बाद चंद्रसिंह मलिक ने खरावड़ गांव में ही अपने घर में लाइब्रेरी खोलकर गांववालों के लिए पढ़ने की व्यवस्था की। इस लाइब्रेरी में वह हर रविवार को हवन करवाते थे। वह खानपुर कन्या गुरुकुल में 1982 से 1992 तक 10 साल महासचिव रहे और वहा महिला पॉलेटेक्निक की शुरूआत की। इसके बाद गुरुकुल को गवर्नमेंट एडिड बनवाने में भी उनका अहम योगदान रहा।
.