हाइलाइट्स
देश में ही अब सभी कारों का क्रैश टेस्ट होगा.
1 अक्टूबर से बीएनसीएपी की शुरुआत होगी.
इसका कार ग्राहकों को सीधा फायदा होगा.
नई दिल्ली. बढ़ते ट्रैफिक ने देश में हादसों की संख्या में भी बढ़त कर दी है. हालात ये हैं कि आए दिन कारों के भयानक एक्सीडेंट की खबरें डराती हैं. ऐसे में सभी की चाह होती है कि उनकी कार सबसे सेफ कारों में से एक हो. इसी के चलते अब लोगों का ध्यान बजट कारों पर या माइलेज देने वाली कारों पर ज्यादा न रहकर बेहतर सेफ्टी वाली कारों पर है. इसी के चलते अब ऐसी कारों की सेल भी तेजी से बढ़ रही है. कारों की सेफ्टी जानने के लिए अब तक सभी लोग ग्लोबल एनसीएपी की आने वाली रिपोर्ट पर निर्भर रहते थे जिसमें कारों का क्रैश टेस्ट कर ये देखा जाता था कि गाड़ियों के सेफ्टी फीचर सही से काम कर रहे हैं या नहीं और गाड़ी की भयंकर टक्कर होने के बाद अंदर बैठे लोगों को कितनी चोट आती है. इसके आधार पर कारों को सेफ्टी रेटिंग और रैंकिंग दी जाती रही है. लेकिन इसके लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था और ये टेस्ट करवाना किसी भी कंपनी के लिए जरूरी नहीं था. लेकिन अब कारों की सेफ्टी जांचने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार अब कारों का क्रैश टेस्ट देश में ही करने जा रही है और इसके लिए Bharat NCAP शुरू करने जा रही है.
देश में शुरू होने वाला भारत न्यू कार असेस्मेंट प्रोग्राम (BNCAP) की आखिर जरूरत क्यों पड़ी और इसका फायदा कार कंपनियों को कैसे होने वाला है ये बड़े सवाल हैं. अब ये क्रैश टेस्ट कब से शुरू होगा. इन सभी के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि इसका सीधा फायदा कार खरीदने वालों को कैसे होगा. आइये इन्हीं सब सवालों के जवाब आपको विस्तार से देते हैं.
कब होगा शुरू
जानकारी के अनुसार कारों का ये क्रैश टेस्ट 1 अक्टूबर 2023 से शुरू होने जा रहा है. इसके साथ ही कार निर्माता कंपनियों को अपनी गाड़ियों के लिए ये टेस्ट करवाना अनिवार्य होगा. सड़क परिवहन मंत्रालय के इस फैसले का कई कंपनियों ने खुले दिन से स्वागत भी किया है. महिंद्रा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि ये मंत्रालय का एक साहसिक कदम है और हम बीएनसीएपी का स्वागत करते हैं. वहीं मारुति सुजुकी ने एक बयान में कहा कि नए परीक्षण इस बात को प्रमाणित करेंगे कि देश में बिक रही कारें ज्यादा सुरक्षित हैं. इससे ग्राहकों को सीधे तौर पर फायदा होगा. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. वहीं किया और स्कोडा जैसी कंपनियों ने भी इसे एक महत्वपूर्ण और जरूरी कदम बताया है.
कैसे होगा ये टेस्ट
इस टेस्ट के दौरान कारों को एक निर्धारित स्पीड में क्रैश कर परणाम आंके जाएंगे. इसके बाद उन्हें 1 से 5 तक की रेटिंग दी जाएगी. ये बिल्कुल ग्लोबल एनसीएपी टेस्ट की तरह ही होगा. क्रैश टेस्ट के दौरान कार को 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सबसे पहले आगे की तरफ से क्रैश किया जाएगा. इसके साथ ही साइड से भी ऐसा ही कर के देखा जाएगा. कार में हयूमन डमी को रखकर उन पर होने वाले प्रभाव को देखा जाएगा.
क्यों पड़ी जरूरत
वैसे तो ये टेस्ट एक नहीं बल्कि तीन संस्थाएं करती हैं. लेकिन सबसे ज्यादा जिस संस्था के टेस्ट को प्रमाणिक माना जाता है वो ग्लोबल एनसीएपी ही है. अब तक इस टेस्ट को करने के लिए कंपनियों को संस्था अपने खर्च पर गाड़ी भेजनी होती थी. जिसके बाद कंपनी टेस्ट करने के बाद परणामों के आधार पर सेफ्टी रैंकिंग जारी करती थी. लेकिन इस काम में लंबा समय लगता था और कार के लॉन्च होने के काफी समय तक इस टेस्ट के रिजल्ट नहीं आते थे. जिसके चलते बिना सुरक्षा रैंकिंग का पता चले ही कारें सड़क पर उतर जाती थीं. अब देश में ये टेस्ट होने के चलते कार कंपनियों को अनिवार्य तौर पर करवाना होगा और रिजल्ट भी जल्द ही सामने आएंगे. जिससे ग्राहकों को सीधे तौर पर ये पता चल सकेगा कि वे जो कार खरीदने जा रहे हैं वो कितनी सुरिक्षित है.
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Tags: Auto News, Car Bike News
FIRST PUBLISHED : July 18, 2023, 10:15 IST
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