कितने तरह की होती हैं हाईब्रिड कार? खरीदने से पहले समझ लीजिए इनका फर्क

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हाइलाइट्स

हाईब्रिड कारों का माइलेज सामान्य कारों के मुकाबले ज्यादा होता है.
हालांकि इनकी कीमत भी ज्यादा होती है.
इसमें इंजन के साथ ही बैटरी की पावर भी मिलती है.

नई दिल्ली. बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों को देखते हुए इन दिनों ऑल्टरनेट फ्यूल या फिर इलेक्ट्रिक कारों की तरफ लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में हाईब्रिड कारों को भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं. कंबशन इंजन यानि पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ ही इलेक्ट्रिक मोटर के कॉम्बिनेशन से चलने वाली कारों को हाईब्रिड कहा जाता है. इन कारों की खासियत होती है कि ये आपकी कार का माइलेज काफी बढ़ा देती हैं. माइलेज बढ़ने का मतलब पावर का कम होना नहीं होता बल्कि हाईब्रिड कारों में इंजन की पावर के साथ ही बैटरी की पावर मिलने से इनका बीएचपी सामान्य कारों के मुकाबले ज्यादा होता है.

हाईब्रिड कारें भी कई तरह की आती हैं. ये शब्द सबसे पहले इंडियन मार्केट में महिंद्रा ने इंट्रोड्यूस किया था. कंपनी ने अपनी एसयूवी स्कॉर्पियो में सबसे पहले माइक्रो हाईब्रिड इंजन का इस्तेमाल किया था. हालांकि ये समान्य हाईब्रिड कार नहीं थी और इंजन कट ऑफ टेक्नोलॉजी को हाईब्रिड का नाम दे दिया गया था. आइये आपको बताते हैं कितने तरह की होती हैं हाईब्रिड कारें और इनका क्या फायदा होता है.

प्लग इन हाईब्रिड
ये कारें ज्यादातर प्रीमियम सेगमेंट में ही आती हैं. इनको पेट्रोल इंजन के साथ ही इलेक्ट्रिक कार का पूरा कॉम्बिनेशन कहना गलत नहीं होगा. ये कारें कई किलोमीटर तक की रेंज बैटरी पर दे सकती हैं. वहीं इनको पेट्रोल और डीजल जैसे फ्यूल पर भी चलाया जा सकता है. इन कारों को इलेक्ट्रिक कार की तरह से प्लग के जरिए चार्ज किया जाता है इसलिए इन्हें प्लग इन हाईब्रिड कहा जाता है.

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स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड
स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड कारें भी कुछ कुछ प्लग इन की तरह ही होती हैं और इन कारों में भी बड़ा बैटरी पैक और मोटर दी जाती है. ये कारें ज्यादातर 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक बैटरी पर चलती हैं इसके बाद रफ्तार तेज करने पर ये ऑटोमैटिकली फ्यूल पर आ जाती है यानि कार का इंजन काम करने लगता है. इन कारों का सबसे बड़ा फायदा होता है सिटी ड्राइव के दौरान जहां पर ट्रैफिक में कार का पेट्रोल काफी कम जलता है और ये बेहतरीन माइलेज देती हैं.

माइल्ड हाईब्रिड
स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड की तरह माइल्ड हाईब्रिड कारों में बैटरी पैक पर कार नहीं चलती है. हालांकि इंजन के साथ ही बैटरी भी पावर देती है. इससे कार का माइलेज कुछ बढ़ता जरूर है लेकिन प्लगइन या स्ट्रॉन्ग हाईबिड जितना नहीं.

माइक्रो हाईब्रिड
ये कारें इंजन स्टार्ट स्टॉप टेक्नोलॉजी से लैस होती हैं. इनका इंजन आइडल कंडीशन, यानि जब आप कार को कुछ समय के लिए एक जगह पर खड़ा रखते हैं तो बंद हो जाता है. इसके बाद दोबारा क्लच दबाने पर ये स्टार्ट हो जाता है. इससे आपकी कार का फ्यूल काफी बचता है. हालांकि इनको प्योर हाईब्रिड कार नहीं कहा जा सकता है.

कौन सी कार खरीदें

  • यदि आप प्रीमियम कार खरीदना चाह रहे हैं और उसी के साथ आपको माइलेज भी बेहतर चाहिए तो आपके लिए प्लग इन हाईब्रिड बेहतर विकल्प होगा.
  • जिनकी सिटी ड्राइव ज्यादा है उनके लिए स्ट्रॉन्ग हाईब्रिड कारें फायदे का सौदा साबित होंगी. हालांकि इनकी कीमत सामान्य कारों के मुकाबले काफी ज्यादा होती है.
  • माइल्ड हाईब्रिड कारें उनके लिए बनी हैं जो सामान्य माइलेज से कुछ ज्यादा चाहते हैं लेकिन प्योर हाईब्रिड जितना खर्च करना नहीं चाहते हैं. ऐसे में यदि आप नई टेक्नोलॉजी की कार खरीदना चाहते हैं तो माइल्ड हाईब्रिड एक बेहतर विकल्प है.

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