करनाल21 मिनट पहले
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राइस मिल में लगे धान के स्टॉक की फाइल फोटो।
हरियाणा के करनाल जिले में सरकारी धान की रिकवरी पर सरकार की सख्ती के बाद अब राइस मिलर्स तेजी दिखा रहे हैं। DFSC अनिल कालडा ने बताया कि जिले भर के 173 राइस मिल में से 80 राइस मिल पेंडेंसी खत्म कर चुके है। बाकी जो बचे है। उनमें से भी करीब 80 प्रतिशत रिकवरी हो चुकी है। जून में सभी राइस मिलर्स चावल वापस करने में तेजी दिखा रहे हैं। उम्मीद है, तय तारीख 30 जून तक सभी राइस मिल चावल जमा करा देंगे।
दूसरी ओर शहर के बड़े राइस मिलर विनोद गोयल ने बताया कि जिन राइस मिलर्स ने जींद से धान लिया था उसका चावल बना कर FCI को दिया जा रहा है। तकरीबन सभी राइस मिलर्स ने जींद से जो धान लिया था। उसका चावल वापस कर दिया है। जो रह गए हैं, वह भी तेजी से चावल वापस कर रहे हैं।

राइस मिल में धान की स्टॉक की जांच करती टीम की फाइल फोटो।
जींद से करनाल के राइस मिलर्स के धान लेने पर जताया था आब्जेक्शन
इस बार करनाल के कई राइस मिलर्स ने जींद से भी सरकारी धान ली थी। कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी। राइस मिलर्स विनोद गोयल ने बताया कि नियमों के मुताबिक ही जींद से धान लिया गया था। तय समय सीमा में चावल वापस कर दिया जाएगा। ज्यादातर राइस मिलर्स ने तो चावल वापस कर दिया है, जो एक दो रह गए हैं, वह भी जल्दी ही चावल जमा करा देंगे।

राइस मिलर्स को जींद से धान लेने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए पत्र का दृश्य।
ये उडाई थी अफवाह
दरअसल शहर के कुछ लोग इस तरह की अफवाह उड़ाते हैं कि जींद से करनाल के राइस मिलर्स चावल नहीं ले सकते, इस तरह की बातें सही नहीं है। क्योंकि करनाल में राइस मिलर्स को जितना मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा था। वहीं जींद में पर्याप्त मात्रा में राइस मिल नहीं है, इसलिए करनाल के राइस मिलर्स ने सरकार से परमिशन लेने के बाद वहां से चावल लिया है। इस प्रक्रिया से धान उगाने वाले किसानों की भी एक तरह से मदद हुई है। अब इस मदद को भी यदि कुछ लोग गलत करार दें तो क्या बोला जा सकता है। गोयल ने बताया कि हो सकता है, कुछ लोगों को नियमों की जानकारी न हो, इसलिए वह इस तरह की बात करते हैं।

चावल के सैंपल को चैक करवाता कर्मचारी।
अधिकारियों ने दिखाई सख्ती
इधर खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी भी इस बार पूरी मुस्तैदी बरत रहे हैं। कोशिश है कि तय समय सीमा के भीतर चावल जमा करा लिया जाए। इसके लेकर राइस मिलर्स के साथ लगातार बैठक भी की जा रही है। DFSC ने बताया कि न सिर्फ चावल वापस लिया जा रहा है, बल्कि इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि चावल की गुणवत्ता भी सही हो।

धान के स्टॉक को चैक करती टीम की फाइल फोटो।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटा जाता है यह चावल
धान की सरकारी खरीद के बाद जो चावल तैयार किया जाता है, इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत देश के अलग अलग राज्यों में बांटा जाता है। चावल की गुणवत्ता को लेकर अक्सर शिकायत रहती थी, लेकिन इस बार इस ओर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। बकायदा से चावल की जांच के बाद ही FCI चावल ले रहा है।
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