एसडी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण के भजनों पर श्रद्धालु झूमे

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करनालएक घंटा पहले

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श्री राम मंदिर में शिव स्तुति का पाठ और हवन किया गया। मुख्य यजमान के रूप में भरत सिंह चौधरी, उषा चौधरी, राकेश और विनय ने शिरकत की। श्रद्धालुओं ने भोले बाबा को पंचामृत स्नान दूध, दही, घी, शक्कर व शहद से करवाकर बेलपत्र, गुलाल व फल आदि चढ़ाया। फूलों से भोले बाबा का शृंगार किया गया। गायक शीतल शर्मा और मुकेश शर्मा ने भजनों से समां बांध दिया। मेरी भोले बाबा ने कर दी बल्ले-बल्ले और क्या चाहिए, ओ भोले भंडारी बाबा सारी दुनिया तारी बाबा आ गई मेरी बारी भजन गाए। पंडित अनिल शास्त्री और हरीश पंडित ने मंत्र उच्चारण एवं विधि विधान पूजा अर्चना करवाई। सायंकाल में मंदिर के प्रांगण में श्री सुंदरकांड का पाठ किया गया। इस अवसर पर वेद दुआ, सरोज दुआ, सुशील मदान, अन्नू खट्टर, वीना सेठ, सुनैना मदान, प्रमोद सपड़ा, ईश्वर भारद्वाज, श्याम धमीजा, बीआर मदान, पवन धमीजा, सुषमा धमीजा, तरसेम गुप्ता, मुरारी बत्रा, चंद्र बत्रा, चरणजीत अरोड़ा मौजूद रहे।

आचार्य मणि प्रसाद गौतम ने कहा कि भगवान को भूल जाना ही सबसे बड़ी विपत्ति है। भगवान को याद रखना ही सबसे बड़ी संपत्ति है। इसलिए भगवान को सदा हर हाल में याद रखना चाहिए। आचार्य मणि प्रसाद गौतम रविवार को एसडी मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के भजनों पर कथा श्रोताओं को नाचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि भक्ति को नि:स्वार्थ भाव से करो। जिसके मन खोट आ गया तो भक्ति करने का कोई फायदा नहीं है। मन कभी विचलित नहीं होना चाहिए। मन ही घातक है और मन से ही इंसान का उद्धार हो जाता है। इंसान को सुख में कभी इतराना नहीं चाहिए और दुख में कभी घबराना नहीं चाहिए। कथा सुंदर नहीं, बल्कि पवित्र भी होती है। कथा श्रोताओं के बारे में उन्होंने कहा कि श्रोता दो प्रकार के होते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति मोहमाया, ममता, करुणा और दया आने पर न्याय नहीं कर सकता।

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