हाइलाइट्स
कार की लागत कम करने के लिए कंपनी ये कदम उठा रही है.
फिलहाल कंपनी का प्रोडक्शन दो जगहों पर ही होता है.
मलेशिया में भी असेंबलिंग प्लांट लगाने जा रही है कंपनी.
नई दिल्ली. देश में लग्जरी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए कई नामचीन विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी इंडियन ऑटोमोबाइल मार्केट में अपनी गाड़ियां उतारनी शुरू कर दी हैं. अब तक जहां लग्जरी कारों के नाम पर ऑडी, मर्सिडीज या बीएमडब्ल्यू का सबसे ज्यादा नाम लिया जाता था वहीं अब एक और जर्मन कंपनी का नाम लोगों की जुबान पर आना शुरू हो गया है. इस कंपनी की कारें, खासकर एसयूवी सेगमेंट को काफी पसंद किया जाता है. इसी को देखते हुए अब कंपनी ने इतना बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है कि ये ऑडी, मर्सिडीज बेंज और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों के लिए खतरा बन सकता है.
दरअसल हम यहां पर बात कर रहे हैं पॉर्शे की. जर्मन कार मैन्युफैक्चरर पॉर्शे अब इंडिया में अपनी सबसे पॉपुलर एसयूवी केयेन की असेंबलिंग को लेकर विचार कर रही है. पॉर्शे एजी बोर्ड के सदस्य और कंपनी की सेल्स व मार्केटिंग के लिए जिम्मेदार डेटलेव वॉन प्लैटन के साथ ही कंपनी के वीपी मैथियास बेकर हाल ही में दिल्ली पहुंचे. यहां पर इन्होंने कहा कि वे सरकारी अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत को तैयार हैं. इसी क्रम में ये इंवेस्ट इंडिया और नीति आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक भी जल्द ही करने वाले हैं.
कंपनी के एक अधिकारी ने इस संबंध में कहा कि हम तेजी से बढ़ते बाजार में अपनी उपस्थिति को सही तौर पर दर्ज करवाने के लिए तैयार हैं और इसी के चलते केयेन को स्थानीय स्तर पर असेंबल करने की संभावनाओं को तलाश जा रहा है.
हर साल बढ़ रही सेल
पॉर्शे फिलहाल इंडिया में तीन कारों को इंपोर्ट कर ऑफर करती है. इसमें मैकेन, केयेन और पनामेरा शामिल हैं. इन कारों की एक्स शोरूम कीमत 88 लाख रुपये से 1.84 करोड़ रुपये तक है. देश में कंपनी की सालाना बिक्री में 64 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है. कंपनी के अनुसार भारत ने हाल ही में जापान को ऑटो सेल्स में पीछे छोड़ दिया है और ये दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया है.
पॉर्शे फिलहाल इंडिया में अपनी तीन गाड़ियों को ऑफर करती है.
क्यों ले रही कंपनी ये फैसला
इंडिया में आयात 40 हजार डॉलर यानि 33,22,620 रुपये से ज्यादा की गाड़ियों पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लिया जाता है. वहीं कम महंगे वाहनों पर ये शुल्क 70 प्रतिशत तक होता है. वहीं स्थानीय स्तर पर असेंबल की गई गाड़ियों में ये काफी कम हो जाता है. ऑटो पार्ट्स को अलग अलग इंपोर्ट करने पर शुल्क 15 से 35 प्रतिशत तक आता है. ऐसे में कार को यहां पर असेंबल करने में लागत कम आएगी और कंपनी की सेल में इजाफा होगा.
फिलहाल केवल दो जगह प्लांट
पोर्शे वर्तमान में जर्मनी और स्लोवाकिया में वाहनों का उत्पादन करती है. यूरोप के बाहर उनका पहला असेंबली प्लांट मलेशिया में खुलने वाला है, जो पूरी तरह से स्थानीय बाजार के लिए केयेन वाहनों के उत्पादन पर केंद्रित है. यदि सरकार के साथ चर्चा सकारात्मक रूप से आगे बढ़ती है तो भारत संभावित रूप से इस सूची में शामिल हो सकता है.
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Tags: Auto News, Car Bike News
FIRST PUBLISHED : August 22, 2023, 10:27 IST
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